कामियाबी हमेशा उनको ही मिलती है जो मुश्किलों को अपनी ताकत बनाकर काम करते है। ऐसी ही एक कहानी है नेल आर्टिस्ट मंजू की। जिन्होंने बिना हार माने अपने सपने को पूरा करने में लगा दिया और आज एक नेल स्टूडियो की मालकिन है।
नेल आर्टिस्ट मंजू का यह सफर आसान नहीं था उन्होंने घरेलु हिंसा, पारिवारिक दबाव को को सहते हुए इतना बड़ा स्टार्टअप शुरू किया। आइए आज जानते है नेल आर्टिस्ट मंजू का मोटिवेशनल जर्नी, जानिए कहाँ से आया नेल स्टूडियो खोलने का आईडिया।
नेल आर्टिस्ट मंजू आज कई महिलाओं और लड़कियों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। नेल आर्टिस्ट मंजू का बचपन काफी गरीबी और आभाव में बिता। शुरुआती पढाई नेल आर्टिस्ट मंजू की ललितपुर में हुई क्योंकि उनके पिता ललितपुर में ही डॉक्टर थे।
नेल आर्टिस्ट मंजू का बचपन माता – पिता के साथ में ही बिता। इसके बाद साल 2009 में मंजू की शादी हुई। यह शादी मंजू ने लव मैरिज किया था। कुछ समय तक सबकुछ सही चलता रहा मंजू जी को एक बच्चा भी हुआ।
नेल आर्टिस्ट मंजू को बच्चा होने के बाद जिम्मेदारियां और बढ़ गई। मंजू फिर भी अपना परिवार बहुत ही अच्छे से संभाल रही थी लेकिन धीरे – धीरे पति का व्यवहार बदलने लगा और वह मंजू जी को प्रताड़ित करने लगा। एक समय ऐसा आया कि पति की मार से परेशान होकर मंजू ने आत्महत्या भी करने की कोशिश की।
जब नेल आर्टिस्ट मंजू के परिवार वालों को यह बात पता चली तो वह मंजू को अपने साथ ले आये और सब कुछ वहां ठीक चलने लगा। कुछ समय बीतने के बाद मंजू ने खुद से काम करने के लिए सोचा ऐसे में वह काम की तलाश में घर के पास के ही एक सैलून में पहुंची और उन्हें वह काम मिल गया। नेल आर्टिस्ट मंजू बहुत होनहार थी ऐसे में न सिर्फ वहां काम कर रही थी बल्कि सिख भी रही थी।
छोटे से गांव से आने वाली मंजू ने कभी यह सोचा भी नहीं था कि एक दिन खुद का नेल स्टूडियो होगा और उनकी एक अलग पहचान होगी। नेल आर्टिस्ट मंजू जी ने एक इंटरव्यू के दौरान अपने नेल आर्टिस्ट बनने के सफर के बारे में बताया।
मंजू जी बताती है कि जब वह सैलून में काम कर रही थी तो उनको नेल आर्ट के बारे में केवल बेसिक चीजों की जानकारी थी जिसकी वजह से ज्यादा क्लाइंट उनके पास में नहीं जाते थे ऐसे में उन्होंने प्रोफेशनल नेल आर्ट सिखने के बारे में सोचा।
इंटरव्यू के दौरान ही मंजू जी ने बताया कि बचपन से ही नेल आर्ट करना उनको काफी अच्छा लगता था। ऐसे में मंजू ने नेल आर्टिस्ट के रूप में करियर बनाना ही सही समझा। मंजू जी बिना देर किए नेल एकेडमी की तलाश करना शुरू कर दी।
मंजू जी जब नेल एकेडमी की तलाश गूगल के माध्यम से कर रही थी तो उन्हें बार – बार एक ही एकेडमी दिखाई दे रही थी वह है इंडिया की नंबर 1 ब्यूटी एकेडमी मेरीबिंदिया इंटरनेशनल एकेडमी। मंजू ने गूगल से ही मेरीबिंदिया इंटरनेशनल एकेडमी के पते और कोर्स आदि के बारे में जानकारी हासिल की और अपने माँ और भाई को कोर्स करने की इच्छा जाहिर की।
घर वाले भी बिना देर किए मंजू को कोर्स करवाने के लिए राजी हो गए और उनके भाई ने पूरी तरह से सपोर्ट करने का भरोसा दिया। मंजू ने इंटरव्यू के दौरान यह भी खुलासा किया कि जिस समय वह कोर्स करने जा रही थी उनके पति भी थे लेकिन उनकी तरफ से कोई सपोर्ट नहीं मिला।
ऐसे में मंजू मेरीबिंदिया इंटरनेशनल एकेडमी में विजिट की और यहां की डेमो क्लासेज देखकर नेल का डिप्लोमा कोर्स करने के लिए एडमिशन ले ली। मंजू ने मेरीबिंदिया इंटरनेशनल एकेडमी की तारीफ करते हुए कहा कि यहाँ से उन्हें काफी सपोर्ट मिला।
मेरीबिंदिया इंटरनेशनल एकेडमी की ऑनर माही मैम ने एडमिशन के समय पर ही यह भरोसा दिलाया कि कोई भी दिक्क्त हो तो आराम से आकर कह सकती है। इसके साथ ही ट्रेनर भी मेरीबिंदिया इंटरनेशनल एकेडमी के काफी सपोर्टिव है। जब भी कुछ चीजों नहीं समझ में आती थी तो मैम अलग से बैठाकर समझती थी।
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नेल आर्टिस्ट मंजू बताती है कि नेल कोर्स करना उनके लिए किसी चैलेंज से कम नहीं था। उनके पति साथ थे लेकिन किसी भी तरह की हेल्प नहीं करते थे। मंजू जी के 3 बच्चे भी थे जिसमें से 2 उनके पास में थे 1 उनके माँ के पास रहता था। मंजू पहले अपने दोनों बच्चो का सुबह टिफिन तैयार करके स्कुल भेजती थी उनके बाद नेल कोर्स करने एकेडमी आती थी।
एकेडमी से छूटने के बाद बच्चो को लेने के लिए फिर से स्कूल जाना पड़ता था। इसके आलावा मंजू जी अपना परिवार चलाने के लिए एक सैलून में काम भी करती थी। मंजू फिर भी अपने इस कठिन सफर को तय करते हुए आगे बढ़ी और आज एक फेमस नेल आर्टिस्ट साथ ही नेल स्टूडियो की मालकिन भी है।
मंजू जब कोर्स कर रही थी उस दौरान ही सैलून में आने वाले कस्टमर उनके काम की खूब तारीफ किया करते थे। उस समय मंजू के दिमाग में अपना नेल स्टूडियो खोलने का विचार आया। ऐसे में अपने पैसे को बचाकर मंजू जी ने नेल स्टूडियो का सामान खरीदना शुरू किया और अपना नेल स्टूडियो का सेटअप बनाया।
कुछ पैसे जब कम पड़ रहे थे तो नेल आर्टिस्ट मंजू जी ने अपने भाई से मांगे और भाई ने भी सपोर्ट किया। इस तरह से मंजू जी ने Namo nail Salon के नाम से अपना पहला स्टूडियो शुरू किया। आज मंजू जी के स्टूडियो में कस्टमर की भीड़ रहती है उनके काम की तारीफ न सिर्फ नोएडा में हो रही है बल्कि दूर – दूर से मंजू जी के यहाँ नेल की सर्विस के लिए कस्टमर आते है।
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नेल आर्टिस्ट मंजू आज उन महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई है जो अपने ऊपर हो रहे अत्याचार को सह रही है। मंजू ने कहा कि महिलाओं को अब घरेलु हिंसा को सहना नहीं है बल्कि आगे आकर इसके खिलाफ आवाज उठाना चाहिए। अगर घरेलु हिंसा से प्रताड़ित महिलाएं आगे आएँगी और लड़ेंगी तो उनका कोई कुछ नहीं कर पायेगा।
इसके साथ ही महिलाओं को अपना करियर बनाने के लिए दिन रात एक करके मेहनत करना पड़ेगा। मंजू ने यह भी बताया कि जब वह घर पर रहती थी तो घर के लोग ही तरह – तरह की बातें किया करते थे। आज वही लोग मेरे स्टुडिओ को देखकर तारीफ किया करते है। मेरे पति भी कई बार बोलते थे कि कुछ नहीं कर सकती तुम लेकिन आज उनको भी मैंने दिखा दिया कि लड़किया कभी हार नहीं मानती है।
उत्तर :- नेल आर्टिस्ट मंजू का जन्म उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। नेल आर्टिस्ट मंजू का बचपन काफी गरीबी और आभाव में बिता। शुरुआती पढाई नेल आर्टिस्ट मंजू की ललितपुर में हुई क्योंकि उनके पिता ललितपुर में ही डॉक्टर थे।
उत्तर :- मंजू के नेल आर्टिस्ट बनने का सफर काफी कठिनाइयों भरा रहा है। मंजू जी बताती है कि जब वह सैलून में काम कर रही थी तो उनको नेल आर्ट के बारे में केवल बेसिक चीजों की जानकारी थी जिसकी वजह से ज्यादा क्लाइंट उनके पास में नहीं जाते थे ऐसे में उन्होंने प्रोफेशनल नेल आर्ट सिखने के बारे में सोचा।
उत्तर :- नेल आर्टिस्ट मंजू ने इंडिया की नंबर वन एकेडमी ब्यूटी एकेडमी मेरीबिंदिया इंटरनेशनल एकेडमी से कोर्स किया। मेरीबिंदिया इंटरनेशनल एकेडमी के बारे में मंजू ने बताया कि यहाँ के ट्रेनर ने उनकी बहुत हेल्प की। मेरीबिंदिया इंटरनेशनल एकेडमी की ऑनर माही मैम काफी सपोर्टिव है।